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रविवार, 12 सितंबर 2010

इलियास कश्मीरी और साजिद मीर के खिलाफ गवाही देगा

वाशिगटन। मुंबई आतंकवादी हमला मामले में अपना दोष स्वीकार करने वाला डेविड हेडली अपने पाकिस्तानी आकाओं इलियास कश्मीरी और साजिद मीर के खिलाफ गवाही देगा।

प्रोपब्लिका डॉट कॉम नामक वेबसाइट ने अमेरिकी अटॉर्नी पैट्रिक फिट्जगेराल्ड के हवाले से लिखा कि अल-कायदा आतंकवादी इलियास कश्मीरी और लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादी साजिद मीर जैसे भगोड़े मास्टरमाइंडों के ऊपर भविष्य में चलाए जानेवाले किसी अभियोजन में हेडली से गवाही ली जाएगी।

पाकिस्तानी मूल का अमेरिकी नागरिक हेडली हाल में ही खत्म हुए तहव्वुर हुसैन राणा मामले का एक प्रमुख गवाह था। शिकागो की एक अदालत ने राणा को मुंबई मामले से तो बरी कर दिया था लेकिन उसे डेनमार्क में हमले की योजना बनाने और आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा को मदद मुहैया कराने का दोषी ठहराया था।

प्रोपब्लिका के अनुसार, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के संदिग्ध अधिकारी और मेजर इकबाल नाम से चर्चित व्यक्ति को दोषी ठहराने संबंधी राजनीतिक रूप से संवेदनशील किसी भी मामले पर चर्चा करने से फिट्जगेराल्ड ने इंकार कर दिया।

इससे पहले, पिछले हफ्ते शिकागो में हुए एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान फिट्जगेराल्ड ने प्रण किया था कि वह पाकिस्तान के अन्य छह आरोपियों को न्याय के घेरे में लाएंगे।

फिट्जगेराल्ड ने कहा था कि हम उन्हें न्याय के घेरे में लाना चाहते हैं। हमें एक समय पर एक कदम उठाना होगा।

हेडली ने साल 2010 के मार्च महीने में अपने उूपर लगाए गए सभी बारह मामलों में अपना दोष कबूला था। इसमें छह अमेरिकी नागरिकों की हत्या के लिए सहायता मुहैया कराना और हत्याकाड के लिए उकसाना भी शामिल था। हेडली को साल 2009 के अक्टूबर महीने में गिरफ्तार किया गया था और वह तभी से सरकार के साथ सहयोग कर रहा है। राणा मामले की सुनवाई में वह सरकारी गवाह बना था।

ऐसा माना जा रहा है कि हेडली और राणा के अलावा मुंबई हमला मामले के छह अन्य आरोपी पाकिस्तान में छिपे हुए हैं। यह भी माना जा रहा है कि अमेरिका, शिकागो मामले में इन सभी आरोपियों के प्रत्यर्पण के लिए प्रयास कर रहा है।

पाकिस्तान से हाल में ही आई रिपोर्टों में कहा गया था कि इलियास कश्मीरी एक ड्रोन हमले में मारा गया है। हालाकि, अमेरिका की तरफ से इसकी पुष्टि नहीं हुई थी।

इस बाबत पूछे जाने पर अटॉर्नी फिट्जगेराल्ड ने कहा कि मैं ड्रोन हमलों का प्रभारी नहीं हूं। मैं नहीं जानता क्या हुआ। हम अखबारों में खबरें पढ़ते हैं.. मैं वहा नहीं था। वह जिंदा है या नहीं इसपर मैं कुछ नहीं कह सकता।

एक अन्य घटना में फिट्जगेराल्ड ने हेडली के साथ किए गए उस समझौते का भी बचाव किया जिसके तहत न तो उसे मौत की सजा दी जा सकती है और न ही उसे भारत, पाकिस्तान और डेनमार्क को प्रत्यर्पित किया जा सकता है।

अटॉर्नी ने कहा कि मेरे मन में इस बात को लेकर कोई शका नहीं है कि अगर हमने हेडली के साथ समझौता नहीं किया होता तो हम अपना काम पूरा नहीं कर पाते क्योंकि हेडली कश्मीरी, साजिद मीर और मेजर इकबाल के बारे में बहुत कुछ जानता था।

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